सिमरी: प्रखंड अंतर्गत केशोपुर में बहुग्रामीय पेयजलापूर्ति योजना के तहत जल शोध संस्थान का निर्माण किया गया है। जिसके माध्यम से सिमरी व बक्सर सदर अंचल के आर्सेनिक प्रभावित 214 वार्डो तक शुद्ध गंगाजल पहुंचाने की योजना है। अधिकारियों के मुताबिक अबतक 98 फीसदी घरों तक पानी पहुंचा दिया गया है लेकिन, जमीनी हकीकत यह है कि 50 फीसदी घरों तक भी सुचारू ढंग से पेयजल की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। कहीं पाइप फूटकर सड़कों पर झील का नजारा बना है तो कही सूखे पाइप एक बूंद को तरस रहे हैं। यही नहीं इस समस्या को लेकर जब प्रोजेक्ट इंचार्ज उमेश चंद्र कुमार अथवा लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के जेई मो0 इस्लाम अंसारी से शिकायत करने पर सिवाय आश्वासन के और कुछ नहीं मिलता।
जिलाधिकारी के फटकार के बावजूद नहीं हो रहा कार्यशैली में सुधार: जल शोध संस्थान के प्रोजेक्ट इंचार्ज उमेश चंद्र कुमार हो या लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के जेई, जनता को गुमराह करते करते अधिकारियों को भी गुमराह करने में लगे हैं और कागजों पर ही 98 फीसदी लक्ष्य प्राप्ति दिखा दे रहे हैं। लेकिन धरातली सच्चाई से रुबरु जिलाधिकारी अंशुल अग्रवाल व एसडीएम राकेश कुमार द्वारा कई बार फटकार लगाई जा चुकी है। बावजूद इनके कार्यशैली में सुधार नहीं हो रहा है।
पंचायत प्रतिनिधि कई बार जता चुके हैं नाराजगी: जल शोध संस्थान से छोड़ा जाने वाला पानी लोगों के घरों तक कम और सड़कों पर अधिक बह रहा है। इसको लेकर प्रखंड क्षेत्र के गायघाट, डुमरी, काजीपुर, ऐकौना, सिमरी सहित तमाम पंचायतों के जनप्रतिनिधि डीडीसी द्वारा आयोजित बैठकों में कई बार नाराजगी जता चुके हैं। लेकिन जिले के अधिकारी मुख्यमंत्री को रिझाने में जुटे हैं। आम जनता परेशान हो तो हो, इससे उन्हें क्या।